जब वे चलते हैं सड़कों पर
बड़े-बड़े बूट पहन कर
तब सड़कों के नीचे दफन
स्त्रियाँ पहचानती हैं
उनके बूटों की आवाजें
उन आवाजों से उनके
जख्म हरे हो जाते हैं
जो कभी दिए थे उन्होंने
कभी तो वे बूट अपनी
आवाजें बंद करेंगे
फिर स्त्रियों के घुटे कलेजे
साँस ले पाएँगे
फिर स्त्रियाँ धीमे-धीमे
जी पाएँगी।
सड़कों के नीचे दफन औरतें
अपना संसार बसा पाएँगी
फिर उनके संसार में
सब कुछ उनके मन का होगा
मन का ताना, मन का बाना
मन का अन्न, मन का खाना
फिर उनके जख्म हरे न होकर
खाल की रंग के होंगे
वे अपने जख्म भूल जाएँगी धीरे-धीरे
इस तरह बूटों की आवाजें मद्धिम
होती हुई खत्म हो जाएँगी
स्त्रियों के जीवन से।